• September 5, 2014
  • gutkafreeindia
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जब मन में यदि कोई विचार उठे और कार्यरूप देने के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाए, तो उम्र उसके आड़े नहीं आती। उत्तराखंड के हरिद्वार में रहने वाले संतराम सेन के मन में यहां आने वाले यात्रियों को व्यसन मुक्त करने का विचार उठा तो वह मुहिम पर निकल पड़े। वह प्रतिदिन कम से कम 100 लोगों को जागरूक करते हुए अनूठा नशामुक्ति अभियान चला चला रहे हैं। सेन 66 वर्ष की उम्र में हरिद्वार की गली-गली में जन-जागरण के लिए कई सफल प्रयोग कर चुके हैं, जो पूरे देश में लोकप्रिय हुए। अब उन्होंने अपने अनूठे अंदाज में नशामुक्ति अभियान छेड़ दिया है। संतराम सेन की दैनिक प्रव्रज्या आरंभ होती है सायंकाल लगभग 5.30 बजे से। साइकिल के पिछले कैरियर पर मेगाफोन और हैंडिल के कैरियर में रखी होती हैं- व्यसनमुक्ति से संबंधित छोटी-छोटी पुस्तकें।

मेगाफोन से बजते गीतों के साथ उनकी साइकिल रोज अलग-अलग मार्गो पर चल पड़ती है। रास्ते में जहां भी कोई बीड़ी पीता या गुटखा खाता नजर आया, वहीं साइकिल रुकती है। सेन नशा करते व्यक्ति को विनम्रता के साथ प्रणाम करते हैं और अपनी ओर से थमा देते हैं नशामुक्ति संबंधी एक छोटी-सी पुस्तिका, एक अनुरोध के साथ कि “हरिद्वार में गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करने आए हो, तो नशे की यह आदत यहीं विसर्जित करते जाना। गंगा मैय्या जरूर प्रसन्न होंगी, आपके जीवन में सुख-शांति बढ़ेगी।”

एक दिन सेन हर की पौड़ी पर पहुंचे और उन्होंने 500 से अधिक लोगों से संपर्क किया। प्रतिदिन वे 100-200 लोगों से संपर्क करते ही हैं। सेन विशेष रूप से गंगा घाटों की ओर ही जाया करते हैं। उनके निवेदन पर लोग अपनी गलती का अहसास करते हैं और नशा छोड़ने का संकल्प भी लेते हुए देखे जाते हैं।

हाथरस (उ.प्र.) से आए घनश्याम दास ने कहा, “यह बहुत ही सफल प्रयोग सिद्ध होगा। मुझे संतराम सेन से प्रेरणा मिली है। हम गांव-गांव में ऐसी साइकिल परिव्रज्याएं करेंगे, बार-बार करेंगे। लोगों को बार-बार छोटी-छोटी पुस्तिकाएं देते रहेंगे तो आखिर कभी तो उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा, कभी तो उनका साहस जागेगा, नशा छोड़ने का संकल्प उभरेगा।”

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